जब देखा
शोक से विलाप करती स्त्रियों को
उसने त्याग दिया
आत्महत्या का अपना बेहद पुराना विचार
किसी मदहोश आँख को देखते हुए
शुष्क लबों की बेरुखी को झेलते हुए
भले ही मरा जा सकता हो
मगर
शोकातुर स्त्रियों को देख लगा
किसी भी तरह से मरना ठीक नही
अपनी शान्ति की कीमत
इतनी बड़ी नही हो सकती
कम से कम
इसलिए
उसने कहा स्त्री और जीवन
एक स्वर में
और जीता चला गया
तमाम जीने की असुविधाओं के बावजूद।
©डॉ.अजित
शोक से विलाप करती स्त्रियों को
उसने त्याग दिया
आत्महत्या का अपना बेहद पुराना विचार
किसी मदहोश आँख को देखते हुए
शुष्क लबों की बेरुखी को झेलते हुए
भले ही मरा जा सकता हो
मगर
शोकातुर स्त्रियों को देख लगा
किसी भी तरह से मरना ठीक नही
अपनी शान्ति की कीमत
इतनी बड़ी नही हो सकती
कम से कम
इसलिए
उसने कहा स्त्री और जीवन
एक स्वर में
और जीता चला गया
तमाम जीने की असुविधाओं के बावजूद।
©डॉ.अजित
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