Monday, September 5, 2016

आना जाना

आना होता है जाना होता है
याद में बीता जमाना होता है

नामुकिन सी कुछ बातों को भी
इश्क में बारहा निभाना होता है

लबों की कैद ज़बाँ समझती है
मगर जाहिर अफसाना होता है

थक कर सर को न मिले दामन जब
मयखाना तब एक ठिकाना होता है

संवर गए या बिखर गए थके मांदे घर गए
नींद न भी आए आखिर सो जाना होता है

लिहाज़ आँख की और रिश्तों की बची रहें
बेहद प्यारी चीज़ को भूल जाना होता है

हर जन्म की होती है कुछ अपनी मजबूरियां
अगले जन्म के भरोसे बस मर जाना होता है

न हो शिकवे कोई न हो रंज किसी से हजार
चुपचाप यूं भी बज़्म से चले जाना होता है

बीत जाती है बातें रीत जाती है रातें
रोने से ठीक पहले मुस्कुराना होता है

©डॉ.अजित

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