Saturday, November 26, 2016

रूपांतरण

प्रेम ने मुझे
शालीनता सिखाई
खुद से बेहतर बात करना
प्रेम के कारण सीख पाया मैं

प्रेम ने मुझे आदर करना सिखाया
और बिना बात अड़ने की खराब आदत
प्रेम के कारण ही छोड़ पाया मै

प्रेम के कारण मै सीख पाया
हंसी और आंसू में बुनियादी भेद
वरना मुद्दत तक
हंसते हुए लोग मुझे लगते थे रोते हुए
और हंसी आती थी किसी के रोने पर

प्रेम मुझे बदलने नही आया था
प्रेम मुझे ये बताने आया था कि
मनुष्य अपने चयन से अकेला हो सकता है
या फिर कमजोरियों के कारण
वरना
ईश्वर ने नही बनाया मनुष्य को
मात्र खुद के लिए
उस पर हक होता है
किसी और का भी

कितनी अवधि के लिए?
ये बात नही बताई
किसी प्रेमी युगल ने मुझे
अनुभव के साक्षात्कार के बाद भी

शायद
यही बात बताने प्रेम आया था जीवन में
और बताकर चला गया
अपनी कूट भाषा में।

©डॉ.अजित