अकेलेपन
की कविताएँ
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मैं
इतना अकेला हूँ कि
करवट
लेने पर
शरीर
का दूसरा हिस्सा
आहत
और उपेक्षित महसूस करता है
मेरी
मां के अलावा
मेरा
बिस्तर जानता है
मेरा
ठीक-ठीक बोझ
**
एकांत
का अर्थ दुःख नही
अवसाद
भी नही
एकांत
का अर्थ
जो
निकालते है
वो
एकांत से नही
अकेलेपन
से पीड़ित है.
**
अकेला
होना
पहले
दुःख लगा
फिर
त्रासद
बाद
में अकेले में
वैसा
लगने लगा
जैसा
कभी लगता था
प्रेम
में.
**
नितांत
अकेला
कम
रहा हूँ मैं
मेरा
साथ रही है
उसकी
स्मृतियाँ
जो
मेरे बाद
नही
रहा
कभी
अकेला
**
मैं
अकेला था
इस
कथन में है
व्याकरण
दोष
अकेला
कोई
कभी
अकेला नही होता
उसे
अकेला समझा जाता है तब
जब
वो कहता है
मैं
अकेला हूँ
**
कल
जब
तुम
साथ थी
हम
अकेले नही थे
मगर
मैं
और तुम थे
दोनों
बेहद अकेले.
©
डॉ. अजित
3 comments:
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सुन्दर रचना
मैं अकेला था
इस कथन में है
व्याकरण दोष
अकेला कोई
कभी अकेला नही होता
उसे अकेला समझा जाता है तब
जब वो कहता है
मैं अकेला हूँ
अति सुंदर
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