Thursday, November 9, 2017

नाराज़गी

कोई किसी को सायास
नाराज़ नही करना चाहता
मनुष्य के पास
इतना समय भी कहाँ
कि योजना बनाकर
किसी को नाराज़ कर सके

नाराजगी एक घटना है
वो घटती रहती है
दुनिया के किसी कोने में
पल-प्रतिपल

अच्छी बात यह है
नाराज़ लोग नही मिलते आपस में
वरना मनुष्य से घृणित
कोई प्राणी नही होता धरती पर

जहां प्यार है वहीं नाराजगी है
यह भावुक स्थापना
हमारी परवरिश का हिस्सा रही है मुद्दत से
मगर नाराज़गी प्यार के कारण नही होती
हर बार

दरअसल
नाराज़ होने की वजहें
होती है इतनी निजी कि
कई दफा हंसी छूट सकती है सुनकर
कई दफा आ सकता है रोना

नाराज़गियां बनती-बिगड़ती रहती है
यह एक अच्छी बात जरूर है
देर तक रुकी नाराज़गी
हमें साबित करती एक कमजोर इंसान

पहले मैं माफी मांगकर
नाराज़ आदमी को मजबूत करता था
अब लगता है यह भी गैर जरूरी
कमजोर रहना यदि किसी का चुनाव है
तो मैं क्या करूँ क्षमा प्रार्थना का अपव्यय?

हो सकता है ये बात सुनकर
आप हो जाएं नाराज़
समझ बैठे मुझे अहंकारी
मगर अब मैं नाराज़ लोगों को
नाराज़ ही रहने देना चाहता हूँ

बतौर मनुष्य यह मेरी एक मदद है
जो शायद समझ आएगी
एक लंबे अंतराल के
बीत जाने के बाद।

©डॉ. अजित