बबली मेरी बड़ी बहन है
उम्र में मुझसे दो साल बड़ी है
उसके ब्याह में अट्ठारह साल का था मैं
पिता की तरह पेश आया मैं
उसके ब्याह में
हलवाई, किरयाने का सामान, फ़र्नीचर
कपड़े गहने सबके लिए दिया पैसा
उसके ब्याह में
पिता मुझे प्रशिक्षित कर रहे थे या दंडित
नही समझ पाया आज तक
पिता के जाने के बाद
बबली मुझसे नाराज़ है
उसे शिकायत है
न मैं पिता रहा और न भाई
हम भाई बहन बचपन मे कभी नही लड़े
लड़ते आज भी नही है
हमारी लड़ाई अब खत्म हो गई है
और दिखने वाला प्यार भी
बबली की शिकायतें
सीधी नही पहुंचती है मुझ तक
वो सामने हमेशा दिखती है सामान्य
मगर उसकी कुछ गहरी शिकायतें है
हम तीन भाईयों में
उसे लगता हूँ
मैं सबसे कम जिम्मेदार
जबकि वो साक्षी है अपने ब्याह में
मेरी बगल में दबे बैग की
टूटी तनियों के चप्पलों की
बबली जिस शहर में रहती है
वो पुराना जिला है मेरा
मैं वहां कम जाता हूँ अब
पहले पिताजी के साथ जाता था कचहरी
बबली को लगता है
वो वहां रहती है
इसलिए अब वहां नही जाता मैं
मैं भाग रहा हूँ
हर रिश्तें नाते से रात-दिन
मेरे पास नही है कोई ऐसी उपलब्धि
जिसे सुना मेरी सगी बड़ी बहन
कुछ दिन गर्व से रह सके
अपनी ननद और सास के बीच
वो एक आश्वस्ति चाहती है
अपने बच्चों को लेकर
कि मैं कम से कम मतलबी मामा न बनूँ
पढ़ा-लिखा पीएचडी हूँ
गाइड करूँ उन्हें उनके करियर के लिए
मदद कर सकूं दो पैसों की
कम से कम इतना लायक बनूं जरूर
मैं बबली से बात करना चाहता हूँ
अपनी सगी बड़ी बहन के सामने
मेरे इतने संकोच घिर आए है
मैं कुछ भी कहूँगा
तो उसे लगेगा सफेद झूठ
वो अब बिल्कुल नही पहचानती मुझे
वो भूल गई कि पिछले सत्रह सालों में
वक्त ने इस कदर तोड़ा और
बदलने पर किया मजबूर मुझे
अब मैं बबली का तो क्या
किसी का भाई ,पति, पिता,बेटा कुछ न रहा
बबली के पास एक वाजिब शिकायत है
खुद में खो गया हूँ मैं
यह सच है इस कदर खो गया हूँ मैं
कि आप शायद ही
किसी पारिवारिक उत्सव में हो सकूं
शामिल अपने बड़प्पन के साथ
बबली मुझसे दो साल बड़ी है
मैं बबली से कई बड़ा हूँ
हम दोनों एक दूसरे से छोटे है
यही हम भाई बहन की
वास्तविक आयु है।
©डॉ. अजित
उम्र में मुझसे दो साल बड़ी है
उसके ब्याह में अट्ठारह साल का था मैं
पिता की तरह पेश आया मैं
उसके ब्याह में
हलवाई, किरयाने का सामान, फ़र्नीचर
कपड़े गहने सबके लिए दिया पैसा
उसके ब्याह में
पिता मुझे प्रशिक्षित कर रहे थे या दंडित
नही समझ पाया आज तक
पिता के जाने के बाद
बबली मुझसे नाराज़ है
उसे शिकायत है
न मैं पिता रहा और न भाई
हम भाई बहन बचपन मे कभी नही लड़े
लड़ते आज भी नही है
हमारी लड़ाई अब खत्म हो गई है
और दिखने वाला प्यार भी
बबली की शिकायतें
सीधी नही पहुंचती है मुझ तक
वो सामने हमेशा दिखती है सामान्य
मगर उसकी कुछ गहरी शिकायतें है
हम तीन भाईयों में
उसे लगता हूँ
मैं सबसे कम जिम्मेदार
जबकि वो साक्षी है अपने ब्याह में
मेरी बगल में दबे बैग की
टूटी तनियों के चप्पलों की
बबली जिस शहर में रहती है
वो पुराना जिला है मेरा
मैं वहां कम जाता हूँ अब
पहले पिताजी के साथ जाता था कचहरी
बबली को लगता है
वो वहां रहती है
इसलिए अब वहां नही जाता मैं
मैं भाग रहा हूँ
हर रिश्तें नाते से रात-दिन
मेरे पास नही है कोई ऐसी उपलब्धि
जिसे सुना मेरी सगी बड़ी बहन
कुछ दिन गर्व से रह सके
अपनी ननद और सास के बीच
वो एक आश्वस्ति चाहती है
अपने बच्चों को लेकर
कि मैं कम से कम मतलबी मामा न बनूँ
पढ़ा-लिखा पीएचडी हूँ
गाइड करूँ उन्हें उनके करियर के लिए
मदद कर सकूं दो पैसों की
कम से कम इतना लायक बनूं जरूर
मैं बबली से बात करना चाहता हूँ
अपनी सगी बड़ी बहन के सामने
मेरे इतने संकोच घिर आए है
मैं कुछ भी कहूँगा
तो उसे लगेगा सफेद झूठ
वो अब बिल्कुल नही पहचानती मुझे
वो भूल गई कि पिछले सत्रह सालों में
वक्त ने इस कदर तोड़ा और
बदलने पर किया मजबूर मुझे
अब मैं बबली का तो क्या
किसी का भाई ,पति, पिता,बेटा कुछ न रहा
बबली के पास एक वाजिब शिकायत है
खुद में खो गया हूँ मैं
यह सच है इस कदर खो गया हूँ मैं
कि आप शायद ही
किसी पारिवारिक उत्सव में हो सकूं
शामिल अपने बड़प्पन के साथ
बबली मुझसे दो साल बड़ी है
मैं बबली से कई बड़ा हूँ
हम दोनों एक दूसरे से छोटे है
यही हम भाई बहन की
वास्तविक आयु है।
©डॉ. अजित
2 comments:
सुन्दर रचना
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ।
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