Wednesday, November 8, 2017

चुपचाप

उसके जाने के बाद
मैंने उसके जाने का
कारण नही तलाशा
मैनें उसके जाने को
बस देखा निरन्तरता में
आज भी उसको याद नही करता
बस उसके जाने को देखता हूँ
मन ही मन
वो इतनी खूबसूरती से गई कि
उसके जाने के बाद
मेरा प्यार और बढ़ गया उसके लिए

बिना किसी संकेत और पूर्वाभास के
देखते ही देखते चले जाना सामने से
ठीक वैसा था जैसे भोर तब्दील हो गई हो उजाले में

उसके जाने के बाद
मैंने उसे पुकारा नही
यदि ऐसा करता मैं
हो सकता है वो लौट भी आती
मगर मैं उसके जाने पर हो गया था
इस कदर मुग्ध कि
तय नही कर पाया पुकारने का सही वक्त

मनुष्य जब मनुष्य की जिंदगी से लेता है विदा
वो घटना इतिहास की तरह संदिग्ध हो जाती है
जिसके हो सकते है अलग-अलग पाठ

उसके चले जाने पर
मेरे पास भी है एक अलग पाठ
जिसे पढ़-सुनकर आप
हंस और रो सकते है
अपने अपने हिसाब से

बशर्ते
आपके जीवन से भी
कोई चला गया बड़ा आहिस्ता से
बिन बताए
चुपचाप।

©डॉ. अजित

3 comments:

सुशील कुमार जोशी said...

बहुत सुन्दर।

ब्लॉग बुलेटिन said...

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, जोकर “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

रश्मि शर्मा said...

बहुत बढ़ि‍या..कि‍सी के जाने को कैसे बताया है आपने।