Friday, March 30, 2018

असुविधा

उसनें कहा
तुम्हें लोगों के प्रेम का
आदर करना नही आता
मैंने कहा
सही कहा मैं इसमें कमजोर हूँ थोड़ा
तुम्हारी एक और खराब आदत है
अपनी कमजोरियों का
औचित्य सिद्ध करना जानते हो
उसने थोड़ा नाराज़ होते हुए कहा
अब कोई अच्छी बात भी बताओ
मैंने कहा
तुम अधूरेपन में खुश रहना जानते हो
यह एक अच्छी आदत है।
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तुम खुद को समझतें क्या हो?
क्या तुम्हारे बिना
दुनिया रुक जाएगी ?
एकदिन उसने बिगड़ते हुए कहा
मेरे बिना दुनिया तेजी से चलेगी
और मैं खुद को वही समझता हूँ
जो तुम समझती हो मुझे
मैंने हंसते हुए जवाब दिया
बनो मत ! तुम्हें जिंदगी का अनुवाद आता है
मेरा नही उसने लगभग चिढ़ते हुए कहा
उसके बाद मैं उसका मूल पाठ पढ़ता रहा देर तक
चुपचाप।
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मैंने कोई शेर सुनाया उस दिन
उसनें कहा
शायर जो कहना चाहता था
वो कहने से चूक गया इस शेर में
मगर जो तुम कहना चाहते हो
वो मैं समझ गई हूं
मैंने फिर एक दूसरा शेर कहा
सुनकर उसने
इस बार तुम चूक गए हो
शायर अपनी बात कह गया
फिर मैंने कोई शेर नही कहा
बैठा रहा चुपचाप
थोड़ी देर बाद उसनें कहा
आज हम दोनों चूक गए है
अपनी-अपनी बात कहनें में।
**
कल उसका एक
एसएमएस मिला
जिसमें लिखा था
प्रेम एक सुविधा है
मगर तुमनें असुविधा चुनी है हमेशा
मैंने उसका कोई जवाब नही दिया
बस डिलीट नही किया वो एसएमएस
पता नही ये मेरे लिए
ये सुविधा थी या
असुविधा।

©डॉ. अजित