Saturday, October 18, 2014

तलाश

मिलना कभी किसी ऐसे शख्स से
न हो जिसके पास
मोबाइल
लैपटॉप
सेविंग अकाउंट
ए टी एम
डायरी
कलम
किताबें
गाड़ी-घोड़ा
मुक्त हो जो
योजनाओं से
कल्पनाओं से
अपेक्षाओं से
धारणाओं से
छोटा हो जिसका
अह्म
अध्ययन
और आधार
हो जिसके पास
एक जोड़ी घिसी हुई चप्पल
एक जोड़ी  गंठे हुए कपड़े की जुते
एक सूती तौलिया
दो जोड़ी कपड़े
एक उधड़ा हुआ थैला
मिल जाता हो जो
बाजार हाट नुक्कड़ गली में
बस ट्रेन में या पैदल चलते हुए
खोजना न पड़े जिसे
जंगल
गुफा
एकांत
या हिमालय में
जानता हो जो
अपना पूरा सच
उससे मिलकर मिल सकती है
सच्ची खुशी
सच्चा ज्ञान
स्पष्ट दृष्टि
स्थाई अभिप्ररेणा
हो सकता है बोध
खुद के लघु होने का
बेवजह उलझे होने का
तलाशिए अपने आस पास
हो सकता है
कोई बुद्ध
बेहद आम शक्ल में
खोजने जरूरी है
हाशिए पर जीते
ऐसे बुद्ध
प्रचार की भूख में
अहंकार की लौ में
अनुयायियों की भीड़ में
नही मिलते
ज्ञान दीक्षा या साधना के सूत्र
अक्सर मिलता है
भटकाव को विस्तार
ज्ञात का भ्रम
वाणी का अहंकार
मुक्ति से भी मुक्त होने के लिए
बेहद जरूरी हो जाता
ऐसे बुद्ध पुरुषों का सत्संग
इनका मिलना दुलर्भ है
असम्भव नही
एक बार तलाश कर तो देखिए
अपने आस पास।

© डॉ.अजीत

1 comment:

सुशील कुमार जोशी said...

देखते हैं पर मिलेगा नहीं ।