उसका यह मुझ पर
बड़े शास्वत किस्म का
आरोप था
'तुम अस्थिर मन के हो'
इसलिए भी
तुमसे प्रेम किया जाना
असम्भव है
प्रेम की अनिवार्य शर्त थी
मन की स्थिरता
जहां शर्त हो क्या वहां प्रेम बचा रहेगा
मैं यह सोचता था
अपने अस्थिर मन से
स्थिर और अस्थिर से अधिक
महत्वपूर्ण हो जाता है
एक कदम का बढ़ाना
प्रेम में सोच विचार करना
बुद्धिमान होने के लक्षण है
परन्तु
प्रेम मांगता है
दीवानापन
इसलिए प्रेम में शर्तें
प्रेम का रास्ता बाधित करती है
अचानक सोचता हूँ
यदि इस किस्म की बाधाएं न होती
तो आज हर दूसरा व्यक्ति
प्रेमी न होता
प्रेम की दुलर्भता को
बचाती है ये कुछ शर्तें
अपने तरीके से
इसलिए उसके आरोप को
प्रेम की तरह
शास्वत लिखा मैनें।
© डॉ. अजीत
बड़े शास्वत किस्म का
आरोप था
'तुम अस्थिर मन के हो'
इसलिए भी
तुमसे प्रेम किया जाना
असम्भव है
प्रेम की अनिवार्य शर्त थी
मन की स्थिरता
जहां शर्त हो क्या वहां प्रेम बचा रहेगा
मैं यह सोचता था
अपने अस्थिर मन से
स्थिर और अस्थिर से अधिक
महत्वपूर्ण हो जाता है
एक कदम का बढ़ाना
प्रेम में सोच विचार करना
बुद्धिमान होने के लक्षण है
परन्तु
प्रेम मांगता है
दीवानापन
इसलिए प्रेम में शर्तें
प्रेम का रास्ता बाधित करती है
अचानक सोचता हूँ
यदि इस किस्म की बाधाएं न होती
तो आज हर दूसरा व्यक्ति
प्रेमी न होता
प्रेम की दुलर्भता को
बचाती है ये कुछ शर्तें
अपने तरीके से
इसलिए उसके आरोप को
प्रेम की तरह
शास्वत लिखा मैनें।
© डॉ. अजीत
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