सबसे पहलें मेरे अंदर का
बच्चा मरा
फिर आदमी
फिर इंसान
और अब देह
मेरी मौत बिलकुल संदिग्ध नही है
यह उतनी ही स्वाभाविक है
जितनी तुम्हारें सपनें की मौत है
मन की मौत नही होती
आत्मा को अमर नही कह सकता
क्योंकि आत्मा देखी नही कभी
मगर
मन आज भी जानता हूँ
कई जन्मों पुराना है मेरा
वही विश्वासी मन
वहीं आहत मन
आधा और अधूरा मन।
© डॉ.अजीत
बच्चा मरा
फिर आदमी
फिर इंसान
और अब देह
मेरी मौत बिलकुल संदिग्ध नही है
यह उतनी ही स्वाभाविक है
जितनी तुम्हारें सपनें की मौत है
मन की मौत नही होती
आत्मा को अमर नही कह सकता
क्योंकि आत्मा देखी नही कभी
मगर
मन आज भी जानता हूँ
कई जन्मों पुराना है मेरा
वही विश्वासी मन
वहीं आहत मन
आधा और अधूरा मन।
© डॉ.अजीत
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