Friday, May 15, 2015

धरती

डूब रहा था
एक सूरज
एक चाँद
धरती के सामनें
धरती देख रही थी
उसका डूबना
तारों की छांव में
धरती चुप थी
धरती तटस्थ थी
धरती साक्षी थी
डूबनें की मजबूरी देखनें की
खुद धरती मजबूर नही थी
धरती बोझ का आंकलन कर रही थी
इसलिए
सूरज चाँद से ज्यादा
उसे खुद की फ़िक्र थी।

© डॉ.अजीत

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