अचानक उसनें कहा
प्रेम बड़ा है या जीवन ये बताओं
मैंने कहा
जीवन
इस पर नाराज़ हो वो बोली
फिर प्रेम क्या है तुम्हारे लिए
मैंने कहा जीवन
फिर बस वो मुस्कुरा कर रह गई।
***
चलतें चलतें उसने कहा एकदिन
तुम्हें सबसे प्यारा कौन है दुनिया में
मैंने कहा मैं खुद
बड़े आत्ममुग्ध हो
ये ठीक बात नही वो बोली
खुद से प्यार करना
तुम्हें प्यार करने की जरूरी योग्यता है
मैंने कहा
फिर वो हंस पड़ी बस
प्यार का ये सबसे संक्षिप्त व्याख्यान था
हमारे बीच।
***
फिर एक दिन उसनें
फोन पर पूछा
कहाँ रहते हो आजकल
कुछ खबर नही है
मैंने कहा इसी फोन की फोनबुक में
जिससे बात कर रही हो तुम
वो खिलखिलाकर हंस पड़ी इस बात पर
मिलतें भी रहा करो कभी कभी
क्योंकि
तुम्हारा नम्बर अक्सर
फोन से डिलीट करती रहती हूँ मैं।
***
मैंने कहा एकदिन
सवाल बहुत करती हो तुम
इतनी शंकाओं के मध्य
कितना बेचारा लगता है हमारा रिश्ता
उसनें कहा
समझा करो ये शंकाए नही है
बल्कि ये सब जवाब है
जो मुझे पता है
बस तुम्हारे मुंह से सुनना
अच्छा लगता है ये सब।
©डॉ.अजित
प्रेम बड़ा है या जीवन ये बताओं
मैंने कहा
जीवन
इस पर नाराज़ हो वो बोली
फिर प्रेम क्या है तुम्हारे लिए
मैंने कहा जीवन
फिर बस वो मुस्कुरा कर रह गई।
***
चलतें चलतें उसने कहा एकदिन
तुम्हें सबसे प्यारा कौन है दुनिया में
मैंने कहा मैं खुद
बड़े आत्ममुग्ध हो
ये ठीक बात नही वो बोली
खुद से प्यार करना
तुम्हें प्यार करने की जरूरी योग्यता है
मैंने कहा
फिर वो हंस पड़ी बस
प्यार का ये सबसे संक्षिप्त व्याख्यान था
हमारे बीच।
***
फिर एक दिन उसनें
फोन पर पूछा
कहाँ रहते हो आजकल
कुछ खबर नही है
मैंने कहा इसी फोन की फोनबुक में
जिससे बात कर रही हो तुम
वो खिलखिलाकर हंस पड़ी इस बात पर
मिलतें भी रहा करो कभी कभी
क्योंकि
तुम्हारा नम्बर अक्सर
फोन से डिलीट करती रहती हूँ मैं।
***
मैंने कहा एकदिन
सवाल बहुत करती हो तुम
इतनी शंकाओं के मध्य
कितना बेचारा लगता है हमारा रिश्ता
उसनें कहा
समझा करो ये शंकाए नही है
बल्कि ये सब जवाब है
जो मुझे पता है
बस तुम्हारे मुंह से सुनना
अच्छा लगता है ये सब।
©डॉ.अजित
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