Thursday, November 19, 2015

आलाप

चंद कहा-सुनी
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बेवजह एक दिन भड़कते हुए
उसनें कहा
तुम्हारे भाव बढ़ गए है आजकल
ठीक से जवाब भी नही देते
बात क्या है?
मैंने कहा
सच कह रही हो
आजकल इतने भाव बढ़ा रहा हूँ खुदके कि
तुम्हारे सिवाय कोई और खरीद न सके मुझे
फिर ठीक है,ये कहकर वो हंस पड़ी।
***
मैं उसदिन परेशान था किसी बात पर
और वो छेड़े जा रही थी मुझे
मेरी कथित प्रेमिकाओं के नाम पर
मैंने कहां हां ! मेरी कई प्रेमिकाएँ है
अब खुश हो
इस बात पर वो खुश नही थी पहली दफा
वो चाहती थी
मैं करूँ उसके सारे आरोप खारिज।
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चाय पीते समय
मेरी गति अधिक थी
इस बात पर उसको रहता था
हमेशा ऐतराज़
झल्ला कर कहती वो
किस जल्दी में रहती हो
कौन सी ट्रेन छूट रही है तुम्हारी
मैं कहता चाय पीना और तुमसें बातें करना
एक साथ नही हो पाता मुझसे
वो हंस पड़ती और कहती
हो जाने दो फिर चाय ठंडी
कोई बात नही दूसरी मंगा लेंगे।
***
अचानक एकदिन
उसने बातचीत बन्द कर दी
मैंने वजह नही जाननी चाही
मुझे गैर जरूरी लगा ऐसा पूछना
उसका एसएमएस मिला एकदिन
इसलिए नही चाहती थी
किसी बुद्धिजीवी से प्रेम करना
मैं शर्मिंदा था
अपने कथित ज्ञान पर।

©डॉ.अजित




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