उनसे पूछिए मन की तैयारियां
जिन पर हमेशा
मुस्कुराने का होता है दबाव
वो एकांत में उदास होते हुए भी
देख रहे होते है आसपास
कोई है तो नही
उनसे पूछिए हंसी का बोझ
हंसते हंसते जिनकी आँखें हो जाती है नम
अपने मुताबिक दुनिया देखने की लालसा में
हम रोज़ हत्या करते है
मामूली अहसासों की
जिन पर दुनिया भर को
खुश रखने का दबाव और जिम्मेदारी है
उनकी उदासी कितनी बैचेन है
कभी पूछिए
ये बात आपको ही पूछनी होगी
क्योंकि
आपकी वजह से उन्होंने खुद से
मुलाकातें बंद कर दी है।
©डॉ.अजित
जिन पर हमेशा
मुस्कुराने का होता है दबाव
वो एकांत में उदास होते हुए भी
देख रहे होते है आसपास
कोई है तो नही
उनसे पूछिए हंसी का बोझ
हंसते हंसते जिनकी आँखें हो जाती है नम
अपने मुताबिक दुनिया देखने की लालसा में
हम रोज़ हत्या करते है
मामूली अहसासों की
जिन पर दुनिया भर को
खुश रखने का दबाव और जिम्मेदारी है
उनकी उदासी कितनी बैचेन है
कभी पूछिए
ये बात आपको ही पूछनी होगी
क्योंकि
आपकी वजह से उन्होंने खुद से
मुलाकातें बंद कर दी है।
©डॉ.अजित
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