Thursday, May 15, 2014

दोस्ती

बाँट देना चाहता हूँ
सारे दोस्त
कुछ नए दोस्तों के बीच
ताकि मेरा जिक्र संदर्भो
में संरक्षित रहे
दोस्ती के बाईपास
पर घना पेड़ बन
अनजान लोगो को
रिश्तों की छाँव देना
मेरी आदि अभिलाषा रही है
मध्यस्थ होना मेरी
अधिकतम उपलब्धि है
तटस्थ होने का सुख
एकांत की सबसे बड़ी पूंजी है
दुनियादारी की संविदा पर हूँ
इसलिए दोस्ती की ऊब से
बचने के लिए ये तमाम प्रपंच करता हूँ
जिसमें दोस्तों का बटवारा भी शामिल है
मेरी गति हैरान कर देती है
और बातें चमत्कृत
इसलिए नए पुराने दोस्तों की
लम्बी फेहरिस्त है मेरे पास
मेरे जरिए आपस में दोस्त बनें लोगो
की मेरे बारे में कोई अच्छी राय भले न हो
मगर उनकी दोस्ती हमेशा पक्की रहेगी
इसकी प्रत्याभूति मै दे सकता हूँ
परन्तु
अनुभव ,नियति या परिणिति कुछ भी
कह सकते है
मगर यह सच है
हम जिस दिन मिलते है
उसी दिन बिछड़ने की
तारीख भी तय हो जाती है
जैसे जन्म के साथ
मौत का दिन तय हो जाता है
खुद ब खुद।

© डॉ. अजीत



1 comment:

सुशील कुमार जोशी said...

बहुत सुंदर ।
पते की राय भी :)