सड़क पर मैं अकेला नही चलता हूँ
मेरा साथ खतरा भी चलता है
खतरा मेरे कान में कहता है
सम्भल कर चल मित्र
कोई तुझे रोंद भी सकता है
मैं हंसते हुए कहता हूँ
मुझे कोई क्या रोंदेगा
मैं तो पहले से तरल हूँ
इस पर खतरा मेरी गर्दन पर पीछे
एक चपत लगा कहता है
चल झूठे!
और उड़कर बैठ जाता है
किसी दूसरे मुसाफिर के कन्धे पर
उसके जाने पर मैं बाय नही कहता
जबकि इस मुलाकात में
उसनें मुझे बड़ी आत्मीयता से
कहा था मित्र।
© डॉ.अजित
मेरा साथ खतरा भी चलता है
खतरा मेरे कान में कहता है
सम्भल कर चल मित्र
कोई तुझे रोंद भी सकता है
मैं हंसते हुए कहता हूँ
मुझे कोई क्या रोंदेगा
मैं तो पहले से तरल हूँ
इस पर खतरा मेरी गर्दन पर पीछे
एक चपत लगा कहता है
चल झूठे!
और उड़कर बैठ जाता है
किसी दूसरे मुसाफिर के कन्धे पर
उसके जाने पर मैं बाय नही कहता
जबकि इस मुलाकात में
उसनें मुझे बड़ी आत्मीयता से
कहा था मित्र।
© डॉ.अजित
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