एकदिन उसने कहा
तुम्हारी आँखें सूँघनी है
मैंने कहा क्यों
लगता है पी कर आए हो
मैंने कहा उसके लिए तो मुँह सूंघते है लोग
वो बोली नही
नशा तुम्हारी आँखों से महकता है
फिर उसनें अनामिका और तर्जनी
दोनों आँखों पर फेरी
ठीक उतनी सावधानी से
जैसे कोई माँ अपने बच्चे की आँख में
काजल लगाती है
उसके बाद वो रूआंसी होकर बोली
कितने रातों से ढंग से सोए नही तुम?
मैंने कहा शराब की महक आई?
बोली नशा केवल शराब का नही
अधूरे खवाबों का भी होता है
फिलहाल तुम्हारी आँखों में वही दहक रहा है
मैं हंस पड़ा
वो रो पड़ी
और नशा दोगुना हो गया
कुछ कुछ ऐसी थी हमारी मदहोशी।
©डॉ.अजित
तुम्हारी आँखें सूँघनी है
मैंने कहा क्यों
लगता है पी कर आए हो
मैंने कहा उसके लिए तो मुँह सूंघते है लोग
वो बोली नही
नशा तुम्हारी आँखों से महकता है
फिर उसनें अनामिका और तर्जनी
दोनों आँखों पर फेरी
ठीक उतनी सावधानी से
जैसे कोई माँ अपने बच्चे की आँख में
काजल लगाती है
उसके बाद वो रूआंसी होकर बोली
कितने रातों से ढंग से सोए नही तुम?
मैंने कहा शराब की महक आई?
बोली नशा केवल शराब का नही
अधूरे खवाबों का भी होता है
फिलहाल तुम्हारी आँखों में वही दहक रहा है
मैं हंस पड़ा
वो रो पड़ी
और नशा दोगुना हो गया
कुछ कुछ ऐसी थी हमारी मदहोशी।
©डॉ.अजित
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