Thursday, May 8, 2014

डर

सर्वाधिकार सुरक्षित है
दुनिया का सबसे बड़ा
सफेद झूठ है
सब अधिकार सुरक्षित करने की बात
ठीक वैसी है जैसे
हिंसा के जंगल में
सुरक्षित गुफा पता होने का दावा करना
सर्वाधिकार एक सुरक्षित उपाय है
मौलिकता को बचाने का
भय को स्थापित करने के लिए
इसका चिन्ह भी विकसित किया गया
ताकि हम ईश्वर की तरह
उक्त सामग्री का बिना सन्दर्भ
प्रयोग करते डरें
सन्दर्भ मनुष्य का अहंकार है
दरअसल सर्वाधिकार को सुरक्षित
रखने के लिए
न्याय, विधि का भय एक मात्र साधन है
डर मनुष्य को अनुशासित रखने का
एक मनोवैज्ञानिक  हथियार भर है
झूठ बोलते है लोग विज्ञापन में कि
डर के आगे जीत है
डर के आगे हमेशा डर होता है
कभी हारने का तो कभी
जीत को बचाए रखने का
अधिकार मनुष्य की जिद भी
कही जा सकती है
और कर्तव्य नैतिकता का मुखौटा
बहकी- बहकी बातें करने के
अपने जोखिम है
और अपने डर
क्योंकि सच और झूठ की शक्ल
बहुत मिलती है इन दिनों
भिन्न भिन्न विषयों के विमर्श में
डर एक छिपी हुई विषय वस्तु है
इस दौर में जब डर अभिप्रेरणा
बन गया है
मै नितांत ही असंगत कविता लिखकर
खुद का लिजलिजापन दूर कर रहा हूँ
क्योंकि डर को जीत पाना
मेरे बस की बात नही है।

© डॉ. अजीत

1 comment:

सुशील कुमार जोशी said...

बहुत अच्छा लिखते हैं अजीत जी । अगर दूसरों को पढ़ने उनके ब्लाग्स पर जाया जाये और टिप्पणी की जाये तभी पाठक जान पाते हैं कि आप लिख रहे हैं ।