खुद को यूं भी आजमाना चाहिए
बेवजह भी जीना आना चाहिए
दुश्मनों का जिक्र नही करता अब
दोस्तों को भी भूल जाना चाहिए
कातिल मेरे ने जुल्म क़ुबूल किया
गवाह को अब मुकर जाना चाहिए
नाराजगी में भी दुआ भेज दी उसने
मर्ज़ तुम्हारा ठीक हो जाना चाहिए
मयकदे में सहारा देने लगे है लोग
महफिल से अब उठ जाना चाहिए
© अजीत
बेवजह भी जीना आना चाहिए
दुश्मनों का जिक्र नही करता अब
दोस्तों को भी भूल जाना चाहिए
कातिल मेरे ने जुल्म क़ुबूल किया
गवाह को अब मुकर जाना चाहिए
नाराजगी में भी दुआ भेज दी उसने
मर्ज़ तुम्हारा ठीक हो जाना चाहिए
मयकदे में सहारा देने लगे है लोग
महफिल से अब उठ जाना चाहिए
© अजीत
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