Tuesday, September 16, 2014

सात बातें

तुम्हारी सात बातें
-----------------

तुम और तुम्हारी बातें
समझने की नही
जीने की चीज़ है
जबकि
मै हमेशा करता हूँ
ठीक इसके उलटा।
*******
तुम्हारी बातों में
सिलवट देखता हूँ जब
तुम मुस्कुरा पड़ती हो
बेपरवाह
आँखे झूठ बोलना
कब सीख पाएंगी
इसकी परवाह करो।
********
कभी कभी तुम
चुप हो जाती हो
कम बोलने के बाद
यह चुप्पी
सबसे ज्यादा डराती है
मुझे।
************
तुम्हारे खतों की स्याही
बता देती है कि
तुमने बोल-बोल कर
लिखें है
ये खत।
*************
लब और
ज़बान के बीच
अटके शब्दों का
शब्दकोश तैयार करना
कभी फुरसत मिले तो
किसी के तो
काम आएगा
कभी।
**********
तुम्हारी बातें
सिर्फ तुम्हारी बातें है
उनमे दुनिया का हिस्सा नही
यह सबसे अच्छी बात है
इन बातों की
जो तुम्हें नही पता।
***********
बातें कितना बड़ा
सहारा बन जाती है
काम करती है
दवा के माफिक
जब सिर्फ और सिर्फ
तुम्हारी बातें
सोचता हूँ
अवसाद/खुशी के पलों में।

© अजीत