लाख समझों संवरते जा रहे हो
नजरों से तुम उतरते जा रहे हो
बदलना दुनिया की फितरत है
हैरत है तुम बदलते जा रहे हो
दीवानगी में कमी कोई जरुर है
फकीरी में सम्भलतें जा रहे हो
महफिल में आए थे पीने शराब
पानी खाली तुम पीते जा रहे हो
किरदार की ऊंचाई ले आई कहां
किस्सों से तुम निकलते जा रहे हो
© डॉ. अजीत
नजरों से तुम उतरते जा रहे हो
बदलना दुनिया की फितरत है
हैरत है तुम बदलते जा रहे हो
दीवानगी में कमी कोई जरुर है
फकीरी में सम्भलतें जा रहे हो
महफिल में आए थे पीने शराब
पानी खाली तुम पीते जा रहे हो
किरदार की ऊंचाई ले आई कहां
किस्सों से तुम निकलते जा रहे हो
© डॉ. अजीत
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