उन लोगो के फोन नम्बर नही है पास
जिनसे तलब की हद तक
बात करने की इच्छा होती है
उन लोगो के पते नही है पास
जिन्हें चिट्ठी लिखने का होता है
लगभग रोज मन
उन लोगो से मिलने की नही है कोई आस
जिनसे मिलना
सांसो जितना जरूरी लगता है
ऐसे लोगो की एक छोटी सी
फेहरिस्त है अपने पास
जिसमें कच्ची पेंसिल से
नाम लिखता-मिटाता रहता हूँ
जो प्राप्य नही है
उसकी आस एक झूठा
छल है खुद से
अपमान है उन लोगो का
जिनसे रोज होती है बात
जिन्हें लिखता रहा हूँ खत
जिनसे होती रही है मुलाक़ात
मगर फिर भी
इस छल और अपमान के बीच
बुनता रहा हूँ
कुछ वाहियात कल्पनाएँ
बांटता रहा हूँ आश्वस्ति के कोरे झूठ
और अधूरे निमन्त्रण पत्र
जीता रहा हूँ खुद के अंदर
दस-बीस आदमी
दरअसल बात यह है
हर अजनबी से मुलाक़ात के बाद
रूचि के केंद्र बदल जाते है
इसलिए मेल मिलाप से बचता हुआ
यूं ही लोगो की जोड़-तोड़ गुणा-भाग में
रिश्तें को जीने की आदत सी हो गई है
किसी से भी मिलना
सबसे पहले
उसे खो देने का उपक्रम लगता है
इसलिए जिनसे मिलता हूँ
उनसे मिलना नही चाहता
जिनसे मिलना चाहता हूँ
उनसे खुद नही मिलता
समय और परिस्थिति दो बढ़िया बहाने है
जिनके सहारे जीवन को
छद्म अभिमान के साथ काटा जा सकता है
किसी से मिलने और न मिलने की वजह
लगभग समान होती है
यकीनन।
© अजीत
जिनसे तलब की हद तक
बात करने की इच्छा होती है
उन लोगो के पते नही है पास
जिन्हें चिट्ठी लिखने का होता है
लगभग रोज मन
उन लोगो से मिलने की नही है कोई आस
जिनसे मिलना
सांसो जितना जरूरी लगता है
ऐसे लोगो की एक छोटी सी
फेहरिस्त है अपने पास
जिसमें कच्ची पेंसिल से
नाम लिखता-मिटाता रहता हूँ
जो प्राप्य नही है
उसकी आस एक झूठा
छल है खुद से
अपमान है उन लोगो का
जिनसे रोज होती है बात
जिन्हें लिखता रहा हूँ खत
जिनसे होती रही है मुलाक़ात
मगर फिर भी
इस छल और अपमान के बीच
बुनता रहा हूँ
कुछ वाहियात कल्पनाएँ
बांटता रहा हूँ आश्वस्ति के कोरे झूठ
और अधूरे निमन्त्रण पत्र
जीता रहा हूँ खुद के अंदर
दस-बीस आदमी
दरअसल बात यह है
हर अजनबी से मुलाक़ात के बाद
रूचि के केंद्र बदल जाते है
इसलिए मेल मिलाप से बचता हुआ
यूं ही लोगो की जोड़-तोड़ गुणा-भाग में
रिश्तें को जीने की आदत सी हो गई है
किसी से भी मिलना
सबसे पहले
उसे खो देने का उपक्रम लगता है
इसलिए जिनसे मिलता हूँ
उनसे मिलना नही चाहता
जिनसे मिलना चाहता हूँ
उनसे खुद नही मिलता
समय और परिस्थिति दो बढ़िया बहाने है
जिनके सहारे जीवन को
छद्म अभिमान के साथ काटा जा सकता है
किसी से मिलने और न मिलने की वजह
लगभग समान होती है
यकीनन।
© अजीत
2 comments:
अच्छा करते हो :)
मेरे पास तो मोबाईल ही नहीं है ।
अच्छा करते हो :)
मेरे पास तो मोबाईल ही नहीं है ।
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