पहाड़ से मिलनें के लिए
ग्लेशियर होना पड़ता है
तुम नदी थी
इसलिए समन्दर का पता पूछती रही।
***
धरती शिकायत करती
तो किससे करती
सब चाँद सूरज के गवाह थे
आसमान छुट्टी पर था
हवा ने अफवाह उड़ा दी
और यूं धरती हुई बेदखल।
© डॉ.अजित
ग्लेशियर होना पड़ता है
तुम नदी थी
इसलिए समन्दर का पता पूछती रही।
***
धरती शिकायत करती
तो किससे करती
सब चाँद सूरज के गवाह थे
आसमान छुट्टी पर था
हवा ने अफवाह उड़ा दी
और यूं धरती हुई बेदखल।
© डॉ.अजित
1 comment:
विपरीत दिशा में कैसा अपनापन...
बहुत खूब .
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