Thursday, December 17, 2015

दो बात

पहाड़  से मिलनें के लिए
ग्लेशियर होना पड़ता है
तुम नदी थी
इसलिए समन्दर का पता पूछती रही।
***
धरती शिकायत करती
तो किससे करती
सब चाँद सूरज के गवाह थे
आसमान छुट्टी पर था
हवा ने अफवाह उड़ा दी
और यूं धरती हुई बेदखल।

© डॉ.अजित

1 comment:

कविता रावत said...

विपरीत दिशा में कैसा अपनापन...
बहुत खूब .