वक्त एक दीवार है
जिन्दगी आर-पार है
गर्म सर्द नही यह
दोस्ती का बुखार है
वजह क्या बताऊँ
बस तुमसे प्यार है
अपना कहते हो जिसे
वो बेहद होशियार है
दाम लगने ही है
बाबू ये बाजार है
© डॉ.अजीत
जिन्दगी आर-पार है
गर्म सर्द नही यह
दोस्ती का बुखार है
वजह क्या बताऊँ
बस तुमसे प्यार है
अपना कहते हो जिसे
वो बेहद होशियार है
दाम लगने ही है
बाबू ये बाजार है
© डॉ.अजीत
1 comment:
बहुत खूब ।
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