जिनके पास लम्बी चौड़ी योजनाएं हो
जिनके पास समीकरणों को साधने के सूत्र हो
जो हमेशा हंसते हो
प्राय: उत्साही दिखते हो
भविष्य का तयशुदा ब्लू प्रिंट जिनके पास हो
जिनके पास हर सम्पर्क का एक अर्थ हो
जो सहज बातों के निहितार्थ निकालनें में निपुण हो
जो शब्द को अर्थ से जोड़कर
शब्दार्थ विकसित करना जानते हो
सामान्य बातचीत में भी जो
सलाह की हमेशा गुजांईश देखते हो
ऐसे दुनियादार दोस्तों से
बहुत डर लगता है
उनका नेत्र सम्पर्क किसी त्राटक से कम नही लगता
उनसे मिलकर सच्ची खुशी नही
योजनाओं का बुलेटिन मिलता है
सफलता का आतंक मिलता है
उनका हरेक फोन
लौकिक सफलता का विज्ञापन होता है
उनकी सफलता हमें खुशी जरुर देती है
मगर उस खुशी में एक चेतावनी छिपी होती है
कि अब सिद्ध करने का नम्बर तुम्हारा है
जिसे कुछ सिद्ध न करना हो
उसका ऐसे सफल दोस्तों से डरना लाजमी है
इसलिए जब कोई दोस्त
अपने रोजमर्रा के संघर्ष
गिरने टूटने के किस्से
वक्त की बेवफाई
मां, पत्नि और बच्चों की शिकायतें
खुद की अनिद्रा, अवसाद की दिक्कत
और फिर से लड़ने की तैयारी की बात बताता है
तब मै लगभग उस मित्र के पैर छू लेना चाहता हूँ
पीड़ा, रोजमर्रा की सहज दिक्कतों के किस्से सुनकर
मै अभिप्ररेणा के शिखर पर खुद को पाता हूँ
इन दो किस्म के दोस्तों के बीच
जिन्दगी रोज झूलती है
अपनी हताशा मिटाने के लिए
कभी मै खुद पर हंस लेता हूँ
तो कभी दोस्तों पर
इन सबके बीच मेरे लिए सबसे सकारात्मक बात
बस इतनी सी है
मुझे दुश्मनों के दुष्प्रचार और षड्यंत्रो से
अब कोई असुविधा नही होती
तभी तो किसी ने कहा है
दोस्त आखिर दोस्त होते है।
© डॉ.अजीत
जिनके पास समीकरणों को साधने के सूत्र हो
जो हमेशा हंसते हो
प्राय: उत्साही दिखते हो
भविष्य का तयशुदा ब्लू प्रिंट जिनके पास हो
जिनके पास हर सम्पर्क का एक अर्थ हो
जो सहज बातों के निहितार्थ निकालनें में निपुण हो
जो शब्द को अर्थ से जोड़कर
शब्दार्थ विकसित करना जानते हो
सामान्य बातचीत में भी जो
सलाह की हमेशा गुजांईश देखते हो
ऐसे दुनियादार दोस्तों से
बहुत डर लगता है
उनका नेत्र सम्पर्क किसी त्राटक से कम नही लगता
उनसे मिलकर सच्ची खुशी नही
योजनाओं का बुलेटिन मिलता है
सफलता का आतंक मिलता है
उनका हरेक फोन
लौकिक सफलता का विज्ञापन होता है
उनकी सफलता हमें खुशी जरुर देती है
मगर उस खुशी में एक चेतावनी छिपी होती है
कि अब सिद्ध करने का नम्बर तुम्हारा है
जिसे कुछ सिद्ध न करना हो
उसका ऐसे सफल दोस्तों से डरना लाजमी है
इसलिए जब कोई दोस्त
अपने रोजमर्रा के संघर्ष
गिरने टूटने के किस्से
वक्त की बेवफाई
मां, पत्नि और बच्चों की शिकायतें
खुद की अनिद्रा, अवसाद की दिक्कत
और फिर से लड़ने की तैयारी की बात बताता है
तब मै लगभग उस मित्र के पैर छू लेना चाहता हूँ
पीड़ा, रोजमर्रा की सहज दिक्कतों के किस्से सुनकर
मै अभिप्ररेणा के शिखर पर खुद को पाता हूँ
इन दो किस्म के दोस्तों के बीच
जिन्दगी रोज झूलती है
अपनी हताशा मिटाने के लिए
कभी मै खुद पर हंस लेता हूँ
तो कभी दोस्तों पर
इन सबके बीच मेरे लिए सबसे सकारात्मक बात
बस इतनी सी है
मुझे दुश्मनों के दुष्प्रचार और षड्यंत्रो से
अब कोई असुविधा नही होती
तभी तो किसी ने कहा है
दोस्त आखिर दोस्त होते है।
© डॉ.अजीत
1 comment:
ब्लाग सेतु से जोड़िये अपने ब्लाग को । ज्यादा पाठकों तक पहँचेंगी आपकी उत्कृष्ट रचनाऐं ।
Post a Comment