मिलते ही कई शर्त लगा देता हूँ
यूं खुद को भूलने की दवा देता हूँ
डाकिया भी खत तेरे कैसे लाता
हमेशा गलत घर का पता देता हूँ
मौत किस्तों में दर पर दस्तक दे
दवा में थोड़ा जहर मिला देता हूँ
इतनी ही नेकी कमा पाया बस
रोतें दिलों को थोड़ा हंसा देता हूँ
यकीन करें न करें उसकी मरजी
पी कर दिल की बातें बता देता हूँ
चाहे रिश्तें हो या फिर आमदनी
हासिल करके सब गवां देता हूँ
गुस्ताखियाँ बर्दाश्त यूं भी करते है
फख्र करने की एक वजह देता हूँ
© अजीत
यूं खुद को भूलने की दवा देता हूँ
डाकिया भी खत तेरे कैसे लाता
हमेशा गलत घर का पता देता हूँ
मौत किस्तों में दर पर दस्तक दे
दवा में थोड़ा जहर मिला देता हूँ
इतनी ही नेकी कमा पाया बस
रोतें दिलों को थोड़ा हंसा देता हूँ
यकीन करें न करें उसकी मरजी
पी कर दिल की बातें बता देता हूँ
चाहे रिश्तें हो या फिर आमदनी
हासिल करके सब गवां देता हूँ
गुस्ताखियाँ बर्दाश्त यूं भी करते है
फख्र करने की एक वजह देता हूँ
© अजीत
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