चेहरें पर आपको जो रौनक नजर आई है
थोड़ी नजरबंदी है थोड़ी हाथ की सफाई है
तन्हा इतना हूँ इस जिंदगी के सफर में
खुद को ही खुद की कहानी सुनाई है
कुछ अदीब इस बात पर मुझसे खफा है
बिना उस्ताद के मैंने कैसे गज़ल बनाई है
मिलते ही पूछते हो अपने मतलब की बात
दोस्त ये बता तालीम किस मदरसे से पाई है
ना काफ़िया ना रदीफ़ ना ख्याल का शऊर है
गजल कहता हूँ शेर मेरे सब के सब हरजाई है
© डॉ. अजीत
थोड़ी नजरबंदी है थोड़ी हाथ की सफाई है
तन्हा इतना हूँ इस जिंदगी के सफर में
खुद को ही खुद की कहानी सुनाई है
कुछ अदीब इस बात पर मुझसे खफा है
बिना उस्ताद के मैंने कैसे गज़ल बनाई है
मिलते ही पूछते हो अपने मतलब की बात
दोस्त ये बता तालीम किस मदरसे से पाई है
ना काफ़िया ना रदीफ़ ना ख्याल का शऊर है
गजल कहता हूँ शेर मेरे सब के सब हरजाई है
© डॉ. अजीत
1 comment:
ये नजर बंदी और हाथ की सफाई हम औरतों की खासियत है। जरूरी जो होता है कई बार ना होते हुए चेहरे पर रौनक लाना।
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