बात बेहद छोटी थी मगर बड़ी हो गई
जरा सी गलती से जिंदगी खफा हो गई
मिन्नतें बेअसर रही सारी कशिस खो गई
सफर तन्हा रहा मंजिल ओझल हो गई
आँखों में रहें किसी कच्चे ख़्वाब की तरह
नींद पकी भी न थी अचानक सुबह हो गई
गलतफ़हमियों के जब से सिलसिलें निकलें
फांसलो में तब से गजब की सुलह हो गई
मुन्तजिर थी आँखें धड़कनें थी बेआस
पलकों पर आंसूओं की दोपहर हो गई
© डॉ. अजीत
जरा सी गलती से जिंदगी खफा हो गई
मिन्नतें बेअसर रही सारी कशिस खो गई
सफर तन्हा रहा मंजिल ओझल हो गई
आँखों में रहें किसी कच्चे ख़्वाब की तरह
नींद पकी भी न थी अचानक सुबह हो गई
गलतफ़हमियों के जब से सिलसिलें निकलें
फांसलो में तब से गजब की सुलह हो गई
मुन्तजिर थी आँखें धड़कनें थी बेआस
पलकों पर आंसूओं की दोपहर हो गई
© डॉ. अजीत
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