उसका कहना मेरा बहना...
----
अक्सर उसने
बिछड़ते वक्त कहा
ख्याल रखिए अपना
मगर
कैसे रखा जाता है
ख्याल खुद का
यह नही बताया
शायद ज्यादा समझदार
समझती रही मुझको।
***
एक दिन उसनें कहा
तुम बुद्धु हो निरे
मैंने कहा
मै तो खुद बुद्ध समझता हूँ
फिर वो हंसती रही और बोली
अब पक्का यकीन हो गया है।
***
अक्सर वो कहती
डोंट ट्राई टू बी ओवरस्मार्ट
और मै कहता
कभी ऐसा बनने की जरूरत
महसूस नही हुई तुम्हारे साथ
वो खुश हो कहती
होगी भी क्यों
हम दोनों ही बेहद स्मार्ट है।
***
एक दिन वो जिद करके बोली
मेड फॉर ईच अदर का अर्थ समझाओं
मैंने कहा जिस दिन
कुछ समझाने की जिद न रहे
उस दिन खुद समझ जाओगी
इसका अर्थ
पहली बार
मेरे जवाब से संतुष्ट थी वो।
***
अक्सर वो कहती
तुम इतने आउटडेटड क्यों हो
मै चुप रह जाता
समझ भरे लहजे में वो कहती
चलो जो भी हो
बेहद अच्छे हो तुम
ऐसे ही रहना।
***
कई बार वो बातों में
अपनी शर्ते लगाती
और कहती
यूं है तो ठीक है
तब मै उसकी बात मान लेता
अगले ही दिन वो कहती
कल मै गलत थी
फिर भी तुमनें क्यों मानी
मेरी बात
मै मुस्कुरा भर देता
वो समझ जाती
रिश्तें की ख़ूबसूरती।
***
कभी कभी वो
बच्चों की तरह
अटक जाती एक ही बात पर
तब उसको समझाना पड़ता
बड़प्पन का दुःख
वो बचपन को जीते हुए
समझने का अच्छा अभिनय करती
मगर मै पकड़ लेता
उसका छूटा हुआ सुख।
***
अचानक उसनें एक दिन कहा
तुम बहुत समझदार हो
तुम्हारे काबिल नही हूँ मै
वो दिन मेरी समझ के लिहाज़ से
सबसे निर्धन दिन था।
***
एक दिन उसनें चिढ़ कर कहा
तुम बहुत इरिटेट करते हो कई दफा
मुझे थोड़ा बुरा भी लगा
वो मेरा मन पढ़ते हुए बोली
ज्यादा महान मत बनो
इरिटेट मै भी बहुत करती हूँ
चलों हिसाब बराबर हुआ
चाय पीतें हैं चलकर।
***
उसके अंदर बसते थे
कई किरदार
उसकी बातों में होती थी
किस्म किस्म की खुशबू
उसको समझना
खुद को समझने जैसा था
उसकी अनुपस्थिति में
उसको जान पाया
यह मेरे जीवन का
स्थाई खेद है।
© डॉ. अजीत
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अक्सर उसने
बिछड़ते वक्त कहा
ख्याल रखिए अपना
मगर
कैसे रखा जाता है
ख्याल खुद का
यह नही बताया
शायद ज्यादा समझदार
समझती रही मुझको।
***
एक दिन उसनें कहा
तुम बुद्धु हो निरे
मैंने कहा
मै तो खुद बुद्ध समझता हूँ
फिर वो हंसती रही और बोली
अब पक्का यकीन हो गया है।
***
अक्सर वो कहती
डोंट ट्राई टू बी ओवरस्मार्ट
और मै कहता
कभी ऐसा बनने की जरूरत
महसूस नही हुई तुम्हारे साथ
वो खुश हो कहती
होगी भी क्यों
हम दोनों ही बेहद स्मार्ट है।
***
एक दिन वो जिद करके बोली
मेड फॉर ईच अदर का अर्थ समझाओं
मैंने कहा जिस दिन
कुछ समझाने की जिद न रहे
उस दिन खुद समझ जाओगी
इसका अर्थ
पहली बार
मेरे जवाब से संतुष्ट थी वो।
***
अक्सर वो कहती
तुम इतने आउटडेटड क्यों हो
मै चुप रह जाता
समझ भरे लहजे में वो कहती
चलो जो भी हो
बेहद अच्छे हो तुम
ऐसे ही रहना।
***
कई बार वो बातों में
अपनी शर्ते लगाती
और कहती
यूं है तो ठीक है
तब मै उसकी बात मान लेता
अगले ही दिन वो कहती
कल मै गलत थी
फिर भी तुमनें क्यों मानी
मेरी बात
मै मुस्कुरा भर देता
वो समझ जाती
रिश्तें की ख़ूबसूरती।
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कभी कभी वो
बच्चों की तरह
अटक जाती एक ही बात पर
तब उसको समझाना पड़ता
बड़प्पन का दुःख
वो बचपन को जीते हुए
समझने का अच्छा अभिनय करती
मगर मै पकड़ लेता
उसका छूटा हुआ सुख।
***
अचानक उसनें एक दिन कहा
तुम बहुत समझदार हो
तुम्हारे काबिल नही हूँ मै
वो दिन मेरी समझ के लिहाज़ से
सबसे निर्धन दिन था।
***
एक दिन उसनें चिढ़ कर कहा
तुम बहुत इरिटेट करते हो कई दफा
मुझे थोड़ा बुरा भी लगा
वो मेरा मन पढ़ते हुए बोली
ज्यादा महान मत बनो
इरिटेट मै भी बहुत करती हूँ
चलों हिसाब बराबर हुआ
चाय पीतें हैं चलकर।
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उसके अंदर बसते थे
कई किरदार
उसकी बातों में होती थी
किस्म किस्म की खुशबू
उसको समझना
खुद को समझने जैसा था
उसकी अनुपस्थिति में
उसको जान पाया
यह मेरे जीवन का
स्थाई खेद है।
© डॉ. अजीत
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