इक वक्त बहुत मुश्किल था मैं
फिर भी तुझको हासिल था मैं
रफ्ता रफ्ता बदतमीज़ हुआ हूँ
कभी अदब का कामिल था मैं
तुम मिलें भी उस नाजुक वक्त
जब घटता हुआ हासिल था मैं
खो दिया तुम्हें अक्सर पाकर भी
थोड़ा बेबस थोड़ा गाफिल था मैं
झील सी खूबसूरत नाजुक तुम
सूखते तालाब का साहिल था मैं
© डॉ. अजीत
फिर भी तुझको हासिल था मैं
रफ्ता रफ्ता बदतमीज़ हुआ हूँ
कभी अदब का कामिल था मैं
तुम मिलें भी उस नाजुक वक्त
जब घटता हुआ हासिल था मैं
खो दिया तुम्हें अक्सर पाकर भी
थोड़ा बेबस थोड़ा गाफिल था मैं
झील सी खूबसूरत नाजुक तुम
सूखते तालाब का साहिल था मैं
© डॉ. अजीत
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