जब दिल में है सच्चाई
क्यों हम हिजाबों में मिलें
न जाने कौन सी जंग थी
दोस्त भी नकाबों में मिलें
कुछ सवाल ऐसे भी थे
जवाब न किताबों में मिलें
सफर पर बदन रहता है
तुम अक्सर ख़्वाबों में मिलें
सवाल पूछकर शर्मिंदा हूँ
लहज़े ऐसे जवाबों में मिलें
थक गया जब तलाश कर
पते पुरानी शराबों में मिलें
© डॉ. अजीत
क्यों हम हिजाबों में मिलें
न जाने कौन सी जंग थी
दोस्त भी नकाबों में मिलें
कुछ सवाल ऐसे भी थे
जवाब न किताबों में मिलें
सफर पर बदन रहता है
तुम अक्सर ख़्वाबों में मिलें
सवाल पूछकर शर्मिंदा हूँ
लहज़े ऐसे जवाबों में मिलें
थक गया जब तलाश कर
पते पुरानी शराबों में मिलें
© डॉ. अजीत
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